Friday, August 22, 2008

आशना

हवा की ओर नही मुड़ते
आशना हम वो हैं जो
हवा का रुख अपनी ओर मोड़ते हैं

है इतना जोश की हम
बिन साहिल के अपन किश्ती
सागर में छोड़ते हैं

तोड़ते हैं जान कर
सब हमें बर्ग-ऐ-खिज़ा
अपने तरानो से हम
ख़ुद से खुदी को जोड़ते हैं

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